अलाउद्दीन खिजली से मिला राघव चेतन
अपने अपमान और राज्य से निर्वासित किये जाने पर राघव चेतन बदला लेने पर आमाद हो गया ! अब उसके जीवन का एक ही लक्ष्य रह गया था और वह था चित्तोड़ के महाराज रावल रत्न सिंह का सम्पूर्ण विनाश ! अपने इसी उद्देश्य के साथ वह दिल्ली राज्य चला गया ! वहा जाने का उसका मक्सद दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिजली को उक्सा कर चित्तोड़ पर आक्रमण करवा कर अपना प्रतिशोध पूरा करने का था ! 12 वी और 13 वी सदी में दिल्ली की गद्दी पर अलाउद्दीन खिजली का राज था ! उन दिनों दिल्ली के बादशाह से मिलना इतना आसान कार्य नही था ! इसीलिए राघव चेतन दिल्ली के पास स्थित एक जंगल में अपना डेरा डाल कर रहने लगता है क्योकि वह जानता था की दिल्ली का बादशाह अलाउद्दीन खिजली शिकार का शोकिन है और वहा पर उसकी भेंट जरुर अलाउद्दीन खिजली से हो जायेगी ! कुछ दिन इंतजार करने के बाद आखिर उसे सब्र का फल मिल जाता है !
एक दिन अलाउद्दीन खिजली अपने खास सुरक्षा कर्मी लड़ाकू दस्ते के साथ घने जंगल में शिकार खेलने पंहुचा ! मोका पाकर ठीक उसी वक्त राघव चेतन अपनी बांसुरी बजाना शुरू करता है ! कुछ ही देर में बांसुरी के सुर बादशाह अलाउद्दीन खिजली और उसके दस्ते के सिपाहियों के कानो में पड़ते है ! अलाउद्दीन खिजली फोरन राघव चेतन को अपने पास बुला लेता है राज दरबार में आ कर अपना हुनर प्रदर्शित करने का प्रस्ताव देता है ! तभी चालाक राघव चेतन अलाउद्दीन खिजली से कहता है !
आप मुझ जैसे साधारण कलाकार को अपने राज दरबार की शोभा बना कर क्या पाएगे, अगर हासिल ही करना है तो अन्य सम्पन्न राज्यों की ओर नजर दोडाइये जहा एक से बढ़ कर एक बेशकीमती नगीने मोजूद है और उन्हें जितना और हासिल करना भी सहज है!
अलाउद्दीन खिजली राघव चेतन को पहेलियाँ बुझाने की बजाय साफ -साफ़ अपनी बात बताने को कहता है तब राघव चेतन चित्तोड़ राज्य की सैन्य शक्ति,चित्तोड़ गढ़ की सुरक्षा और वहा की सम्पदा से जुड़ा एक-एक राज खोल देता है और राजा रावल रत्न सिंह की धर्म पत्नी रानी पद्मावती के अद्भुत सोन्दर्य का बखान कर देता है ! यह सब बाते जान कर अलाउद्दीन खिजली चित्तोड़ राज्य पर आक्रमण कर के वहा की सम्पदा लुटने , वहा कब्ज़ा करने और परम तेजस्वी रूप की अंबार रानी पद्मावती को हासिल करने का मन बना लेता है !
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