रानी पद्मावती का चित्तोड़ राज्य में प्रवेश
प्रजा प्रेमी ओर न्याय पालक राजा रावल रत्न सिंह चित्तोड़ राज्य को बड़े कुशल तरीके से चला रहे थे ! उनके शासन में वहा की प्रजा हर तरह से सुखी संपन थी ! राजा रावल रत्न सिंह रण कोशल ओर राजनीति में निपुण थे ! उनका भव्य दरबार एक से बढकर एक महावीर योध्दाओ से भरा हुआ था ! चित्तोड़ की सैन्य शक्ति ओर युध्द कला दूर -दूर तक मशहूर थी !
चित्तोड़ का प्रवीण संगीतकार राघव चेतन:-
चित्तोड़ राज्य में राघव चेतन नाम का संगीतकार बहुत प्रसिध्द था ! महाराज रावल रत्न सिंह उन्हें बहुत मानते थे ! इसीलिये राज दरबार में राघव चेतन को विशेष स्थान दिया गया था ! चित्तोड़ की प्रजा और वहा के महाराज को उन दिनों यह बात मालूम नही थी की राघव चेतन संगीत कला के अतिरिक्त जादू -टोना भी जानता था ! ऐसा कहा जाता है की राघव चेतन अपनी इस आसुरी प्रतिभा का उपयोग शत्रु को परास्त करने और अपने कार्य सिध्द करने में करता था ! एक दिन राघव चेतन जब अपना कोई तांत्रिक कार्य कर रहा था तब उसे रंगे हाथो पकड लिया गया और राजदरबार में राजा रावल रत्न सिंह के समक्ष पेश कर दिया गया ! सभी साक्ष्य औरफरियादी पक्ष की दलील सुन कर महाराज ने चेतन राघव को दोषी करार देकर तुरंत उसका मुह काला कर उसे गधे पर बैठा कर अपने राज्य से निकल जाने का आदेश दे दिया !
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