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RAJASTHAN

December 21, 2020

Tatya tope Gallantry ( तात्या टोपे शौर्य-गाथा )



Tatya Tope Gallantry ( तात्या टोपे शौर्य-गाथा ):-

                  तात्या टोपे , जो 'तांतिया  टोपी ' के नाम से विख्यात है , 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के उन महान  सैनिक नेताओ में से एक थे , जो प्रकाश में आये। 1857 तक लोग इनके नाम से अपरिचित थे , लेकिन 1857 की घटनाओ ने उन्हें अचानक अंधकार से प्रकाश में ला खड़ा कर दिया। इस महान विद्रोह के प्रारम्भ होने से पूर्व वह राज्यच्युत पेशवा बाजीराव द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र बिठूर के राजा , नाना साहब के एक प्रकार से साथी - मुसाहिब मात्र थे , किन्तु स्वतंत्रता संग्राम में कानपूर के सम्मिलित होने के पश्चात तात्या टोपे पेशवा की सेना के सेनापति की स्थिति तक पहुंच गये। उसके पश्चातवर्ती युद्धों की सभी घटनाओ ने उनका नाम सबसे आगे हो गया। जो अपने पीछे प्रकाश की एक लम्बी रेखा छोड़ता गया।  उनका नाम केवल देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी प्रसिद्ध हो गया।  मित्र ही नहीं , शत्रु भी उनके सैनिक अभियानो को जिज्ञासा और उत्सुकता से देखने और समझने का प्रयास करते थे , समाचार पत्रों में उनके नाम के लिए विस्तृत स्थान उपलब्ध था , उनके  विरोधी  भी उनकी काफी प्रशंसा करते थे। उदाहरणार्थ , कर्नल मॉलसन ने उनके संबंध में कहा है ,  "भारत में संकट के उस क्षण में जितने भी सैनिक नेता उत्पन्न हुए , वह उनमे सर्वश्रष्ठ थे  सर जार्ज फारेस्ट ने उन्हें ,  "सर्वोत्कृष्ट राष्ट्रिय नेता " कहा है जब कि आधुनिक अंग्रेजी इतिहासकार , पर्सिकास स्टेंडिंग ने सैनिक क्रांति के दौरान देशी पक्ष की ओर से उत्पन्न  " विशाल मस्तिष्क " कहकर उनका सम्मान किया।  उसने उनके विषय में यह भी कहा है कि   "वह विश्व के प्रसिद्ध छापामार नेताओ में से एक थे।
          1857 के दो विख्यात विरों , झाँसी की रानी और तात्या टोपे में से , झाँसी की रानी को अत्यधिक ख्याति प्राप्त हुई।  उसके नाम के चारो ओर यश का चक्र बन गया किन्तु तात्या टोपे के  साहसपूर्ण कार्य और विजय अभियान रानी लक्ष्मीबाई के साहसिक कार्यो और विजय अभियानों से कम रोमांचक नहीं थे। जब कि रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध अभियान झाँसी , काल्पी और ग्वालियर के क्षेत्रो तक ही सीमित रहे थे।  तात्या एक विशाल राज्य के समान कानपूर से राजपुताना और मध्य भारत तक फ़ैल गए थे।  यदि कर्नल ह्यु रोज ने , जो मध्य भारत युद्ध अभियान के कर्ताधर्ता थे।, रानी लक्ष्मी बाई की प्रशंसा  "उन सभी में सर्वश्रष्ठ वीर " के रूप में की थी , तो मेजर मीड को लिखे एक पत्र में , तात्या टोपे के विषय में यह कहा था कि वह , " महान युद्ध नेता और बहुत ही विप्लवकारी प्रकृति के थे और उनकी संगठन क्षमता भी प्रशंसनीय  थी। "  तात्या ने अन्य सभी नेताओ की अपेक्षा शक्तिशाली ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया था। उन्होंने शत्रु के साथ लम्बे समय तक संघर्ष जारी रखा। 
          जब स्वतंत्रता संघर्ष के सभी नेता एक एक करके अंग्रेजो की श्रेष्ठ सैनिक शक्ति से पराभूत हो गए तो वह अकेले ही विद्रोह की पताका फहराते रहे।  उन्होंने लगातार नौ माह तक उन आधे दर्जन ब्रिटिश कमांडरों को मजा छकाया जो उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे थे।  वह अपराजेय बने रहे।  विश्वासघात के कारण अंग्रेज उन्हें  अंत में पकड़ पाये।
         इस प्रकार इस महँ देशभक्त की उपलब्धिया इतिहास के पन्नो पर स्वर्णाक्षरो से लिखी गई है। उनके शौर्य की गाथा महानता और संघर्ष से भरी हुई है और उतनी  ही रोमांचक और उत्प्रेरक है जितनी कि इस स्वाधीनता संघर्ष की।


English Translate:-

Tatya tope Gallantry:-


            Tatya Tope, popularly known as 'Tantia Topi', was one of the great military leaders of the 1857 War
of Independence who came to light. By 1857, people were unfamiliar with his name, but the events of 1857
suddenly brought him out of darkness. Before the commencement of this great rebellion, he was merely a 
sort of companion - Nasaheb, the king of Bithoor, the eldest son of Rajya Peshwa Bajirao II, but after the joining
of Kanpur in the freedom struggle, the commander of the army of Tatya Tope Peshwa Reached the status of.
 After that, his name became at the forefront of all the incidents of the wars. Who left behind a long line of light.
His name became famous not only in the country but also outside the country. Not only friends, the enemy also
tried to see and understand his military campaigns with curiosity and curiosity, there was a wide space available
for his name in newspapers, his opponents also praised him a lot. For example, Colonel Malleson states in him,
"Of all the military leaders that arose in India at that moment of crisis, Sir George Forest  called him," the
quintessential national leader ", while the modern English historian, Persicas Standing respected him during 
the military revolution by calling him a "giant brain" originating from the native side. He has also said of him that
"he was one of the world's leading guerrilla leaders.
         Of the two noted heroes of 1857, Rani of Jhansi and Tatya Tope, Rani of Jhansi gained immense fame. 
There was a circle of fame around his name, but Tatya Tope's courageous work and victory expeditions were
no less exciting than the adventures and conquests of Rani Laxmibai. While Rani Laxmibai's war campaigns
were confined to the areas of Jhansi, Kalpi and Gwalior. Tatya spread like a huge kingdom from Kanpur to
Rajputana and Central India. If Colonel Hugh Rose, who was the master of the Central India War campaign,
praised Rani Laxmi Bai as "the best hero among them all", in a letter to Major Mead, it was said of Tatya Tope.
He was, "a great war leader and of a very virulent nature, and his organization capacity was also admirable.
" Tatya shook the foundations of powerful British rule over all other leaders. He continued a long struggle with
the enemy.
          When all the leaders of the freedom struggle were defeated one by one by the superior military power of
the British, they single-handedly hoisted the flag of rebellion. For nine consecutive months, he amused half a
dozen British commanders who were trying to capture him. He remained unbeatable. Due to the betrayal, the
British finally caught them.Thus, the achievements of this great patriot have been written on the pages of history
with gold coins. The story of his valor is full of greatness and struggle and is as exciting and catalytic as this freedom struggle.



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